बेहतर ज़िंदगी के लिए जरूरी है क़ुरान की शिक्षा : मुफ़्ती सालिम क़ासमी

 नई दिल्ली। माहे रमज़ान की 21 वीं शब में फिक्की के संरक्षक हाफिज़ सलीम अहमद द्वारा तरावीह की नमाज़ में क़ुरान मुकम्मल किया गया। यह एक खास मौका था, जिसमें बड़ी तादाद में लोग शरीक हुए। बता दें कि हाफिज़ सलीम अहमद पिछले 53 सालों से लगातार क़ुरान सुनाते आ रहे हैं। इस मुकद्दस मौके पर मुफ्ती सालिम क़ासमी ने क़ुरान की शिक्षा और इसके पैग़ाम पर रोशनी डालते हुए कहा कि एक बेहतर ज़िंदगी के लिए क़ुरान की शिक्षा हासिल करना जरूरी है इसलिए मॉडर्न एजुकेशन के साथ साथ मज़हबी शिक्षा भी बच्चो को मुहैया करायें।

इसके साथ ही मुल्क में आपसी मोहब्बत और भाईचारे के लिए खास दुआ की गई। मुफ्ती सालिम क़ासमी ने अपने बयान में कहा कि हमारा वतन गंगा-जमुनी तहज़ीब और अनेकता में एकता के लिए मशहूर है, मगर कुछ शरपसंद ताक़तें इसे नुक़सान पहुंचाने की साज़िश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें उनके इरादों को प्यार, मोहब्बत और अख़लाक़ के ज़रिए नाकाम बनाना होगा, ताकि समाज में अमन और चैन बरक़रार रहे।

इस मौके पर सर्वोंकॉन सिस्टम के सीएमडी हाजी क़मरुद्दीन सिद्दीक़ी, फेस ग्रुप के चेयरमैन डॉ. मुश्ताक़ अंसारी, मुफ़्ती अहमद, क़ारी मुख़्तार क़ासमी, मौलवी अलक़मा, हाजी यूसुफ़, हाजी नसीम अहमद, हाजी दिलशाद अहमद और हफ़ीज़ फ़िरोज़ अहमद, जावेद अहमद आदि समाज के ज़िम्मेदार लोग मौजूद रहे।

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