यही कहानी है नाटक काया की !
नाटक की नायिका काया कम उम्र में विधवा हो जाती है और फिर उसे गांव के भयावह रीति रिवाजो की परीक्षा से गुजरना पड़ता है।
इस परिस्थिति में, काया अपनी यात्रा की कठिनाइयों को दूर करने और गांव से दूर जाकर अपने आपको उन भयानक रिवाजों से बचाने के लिए, एक वेश्यालय में रहने को मजबूर हो जाती हैं, जहां एक बुद्धिमान शिक्षक पहले उसका गुरु बन उसे उसके दर्द से ऊपर उठने में मदद करता है।काया की कहानी स्त्री उत्थान पर है जहाँ एक असहाय विधवा अनपढ़ होने के बावजूद गाँव के भयानक रस्मो से लड़ती हुई और अनेक परिस्थितियों से गुज़रती हुई अपना खुद का उत्थान ही नहीं करती , बल्कि लौट के उसी गाँव में ऊंचे पद पर सम्मानित होने के पश्चात उस गाँव में स्त्री उत्थान केंद्र खोलती है जहाँ सब बेबस महिलाओं को अनेक परिक्षण दिए जाते हैं उनकी समग्र भलाई के लिए !
सरल शब्दों में कहा जाये तो नाटक काया में महिला सशक्तिकरण और स्त्री उत्थान को बहुत ही कड़े अंदाज़ में बताया और संवारा गया है |
इस अवसर पर चीफ गेस्ट के तौर पर आई दिल्ली पुलिस की लेडी सिंघम का नाम से मशहूर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किरण सेठी ने कहा कि आज के ज़माने में इस तरह के नाटकों का होना बहुत जरूरी है जो महिला शक्तिकरण और बालिका शिक्षा पर जोर देते हैंकाजल सूरी के निर्देशन में पेश किए गए इस नाटक में मेकअप किया मुहम्मद राशिद ने और मंच पर जसकीरन चोपड़ा, गुंजन ,तनिषा गांधी, वर्षा ,सुजाता जैन,मंत्र भारद्वाज,कृष बब्बर,आफताब हुसैन, अपूर्व, ओम चौधरी, सभी ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया !
संगीत संचालन स्पर्श रॉय का रहा,
बैक स्टेज संभाला शुभम शर्मा और गीता सेठी ने । मंच संचालन जानी मानी मीडिया कर्मी सुखनंदन बिंद्रा ने किया।
रुबरू थिएटर ग्रुप के प्रेसिडेंट समीर खान की देखरेख में मंचित इस नाटक के प्रोडक्शन को बखूबी संभाला प्रोडक्शन मैनेजर रोहित कुमार ने !
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