उर्दू किसी धर्म विशेष की नहीं बल्कि हिंदुस्तान की ज़ुबान है : डॉ० एस फ़ारूख़
नई दिल्ली, 7 अगस्त 2025। असलम चिश्ती फ्रेंड सर्कल पुणे द्वारा एक ऑल इंडिया मुशायरा का आयोजन बस्ती निजामुद्दीन स्थित ग़ालिब एकेडमी के सभागार में किया गया, असलम चिश्ती के नेतृत्व में आयोजित यह मुशायरा मशहूर शायर और अदबी शख़्सियत डॉ. असलम हनीफ़ (मरहूम) की पहली बरसी की याद में किया गया जिसकी सदारत दिल्ली उर्दू एकेडमी दिल्ली सरकार के वाईस चेयरमैन प्रोफ़ेसर शेपर रसूल ने की। मंच का संचालन मशहूर टी वी एंकर एवं शायर मोईन शादाब द्वारा किया गया।
इस यादगार और सम्मानजनक अदबी महफ़िल में देश के कोने-कोने से नामी शायरों और साहित्य प्रेमियों ने शिरकत की।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एस. फारूक (प्रेसिडेंट, तास्मिया ऑल इंडिया एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसायटी) मौजूद रहे।
विशिष्ट अतिथियों में सीनियर जर्नलिस्ट शाहिद सिद्दीकी, प्रोफेसर अख़लाक़ अहंग, डॉ० वसीम राशिद, रेनू हुसैन, डॉ० श्वेता सिंह उमा, जर्नलिज्म टुडे ग्रुप के एडिटर जावेद रहमानी, सैयद नज़ीर अहमद, मोहम्मद फ़हीम अंसारी आदि की मौजूदगी ने आयोजन की शान बढ़ाई।
इस मुशायरे की शोभा बढ़ाने वाले शायर प्रो. इफ़्त ज़र्रिन, राशिदा बाक़ी हया, डॉ. अना देहलवी, डॉ. माजिद देवबंदी, अंजुम बाराबंकीवी, डॉ. महताब आलम, डॉ. शकील जमाली, रियाज़ सागर, रहमान मुसव्विर, मयकश आज़मी, शर्फ़ नानपारवी, वारिस वारसी, ताहिर सऊद, सरताज़ अमरोही, मुशर्रफ हुसैन महज़र जैसे कई प्रसिद्ध नामों ने भी अपने शेरों से समां बांधा। इसके अलावा दिल्ली उर्स कमेटी दिल्ली सरकार के पूर्व चेयरमैन एफ़ आई इस्माइली, सियासी तक़दीर ग्रुप के एडिटर मुस्तकीम ख़ान, सीनियर जर्नलिस्ट मारूफ़ रज़ा, फेस ग्रुप के चेयरमैन डॉ० मुश्ताक़ अंसारी, मौ० इलयास सैफ़ी, डॉ० इक़बाल अहमद, मोईन जयपुरी आदि गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।
इस मौक़े पर डॉ० सैय्यद फ़ारूक़ ने कहा कि उर्दू भाषा के प्रचार प्रसार में मुशायरे अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कबीले तारीफ़ हैं वह लोग जो उर्दू की ख़िदमत कर रहे हैं और उर्दू किसी धर्म विशेष की नहीं बल्कि हिन्दुस्तान की ज़ुबान है।
इस अवसर पर असलम चिश्ती ने कहा कि मरहूम डॉ० असलम हनीफ़ मेरे ख़ास दोस्त थे, इस आयोजन का उद्देश्य ना केवल डॉ. असलम हनीफ़ की यादों को ताज़ा करना है, बल्कि उर्दू साहित्य और शायरी को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश भी है।उन्होंने यह भी कहा कि उर्दू को पसंद करने वाले और अपनाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
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