गुरु अर्जुन देव जी के 350वें शहीदी दिवस पर लाल क़िला में होने वाले भव्य समागम की तैयारी हेतु दिल्ली में निकलीं नगर कीर्तन यात्राएँ
ज़ैनब अंसारी
नई दिल्ली 21 नवंबर। सिखों के पाँचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में राजधानी दिल्ली श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिकता के एक विशाल वातावरण में डूबी हुई है। इसी अवसर पर आगामी 23, 24 और 25 नवम्बर को लाल क़िला के प्रांगण में एक भव्य समागम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें गुरु अर्जुन देव जी के जीवन, शिक्षा, त्याग और मानव कल्याण के संदेश को समर्पित विशेष प्रदर्शनी के साथ-साथ कीर्तन कार्यक्रमों का आयोजन होगा। यह संपूर्ण आयोजन दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा किया जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में संगत की भागीदारी अपेक्षित है।
इस मुख्य कार्यक्रम से पूर्व दिल्ली के विभिन्न इलाकों में नगर कीर्तन यात्राएँ लगातार निकाली जा रही हैं, जिनमें श्रद्धालु कीर्तन, झाँकियों और गुरु परंपरा का संदेश लेकर पूरे उत्साह और अनुशासन के साथ शामिल हो रहे हैं। इसी श्रंखला में 21 नवंबर को एक विशेष नगर कीर्तन यात्रा रशीद मार्केट गुरुद्वारा से प्रारंभ होकर खूरेजी, लक्ष्मी नगर और अन्य इलाकों से होती हुई जब शंकर विहार क्षेत्र में पहुँची तो यहाँ फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष गुरचरण सिंह राजू ने पारंपरिक रीति से यात्रियों का भव्य स्वागत किया।
गुरचरण सिंह राजू ने यात्रा में शामिल ग्रंथियों और धर्म-विद्वानों का सम्मान करते हुए उन्हें सरोपा भेंट किया तथा संगत के लिए अल्पाहार की समुचित व्यवस्था कराई। उनके इस जज़्बे ने पूरे मार्ग में उत्साह और समर्पण की भावना को और अधिक प्रबल किया ।
इस अवसर पर सिक्का ग्रुप के संस्थापक जी. एस. सिक्का तथा दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के सदस्य सुखविंदर सिंह बब्बर ने भी विशेष रूप से उपस्थित होकर नगर कीर्तन यात्रा का स्वागत किया और गुरु परंपरा की इस विरासत को आगे ले जाने में अपना सहयोग जताया। उनके आगमन से यात्रा की गरिमा और अधिक बढ़ी और स्थानीय समुदाय में भी उत्साह का संचार हुआ।
राजधानी दिल्ली इन दिनों गुरु अर्जुन देव जी के सर्वोच्च बलिदान को स्मरण करते हुए उनके संदेश सत्य, धैर्य, करुणा और मानवता को पुनः आत्मसात कर रही है। लाल क़िला का आगामी तीन दिवसीय समागम न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक सौहार्द के लिए भी अत्यंत सार्थक माना जा रहा है।
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