इस्लाम धर्म के पैग़म्बर मौहम्म्द साहब के संदेशों से अपनाने से निःसंदेह समाज को लाभ मिलेगा : इक़बाल सिंह लालपुरा



नई दिल्ली। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग  द्वारा इस्लाम धर्म के आख़री पैग़म्बर हज़रत मौहम्मद सलल्लाहु अलैहिवसल्लम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में ईद मिलादुन नबी का आयोजन आयोग के कांफ्रेंस हॉल में किया गया। आयोग के चेयरमैन इक़बाल सिंह लालपुरा की अध्यक्षता में आयोजित इस सेमिनार में सभी धर्म जाति संप्रदाय के लोगों ने शिरक़त की और अपने अपने तरीक़े से पैग़म्बर साहब के संदेशों को सेमिनार में व्यक्त किया।

इस अवसर पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जाकिर खान, सिख सलाहकार समिति डी-एम-सी- सरदार जी-बी-एस- चौहान व फे़स ग्रुप के चेयरमैन डॉ0 मुश्ताक अंसारी द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयेाग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा का  स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान भी किया गया। 

इस मौक़े पर इक़बाल सिंह लालपुरा ने कहा कि यूं तो मैंने कुरान मजीद को पढ़ा है लेकिन आज के सेमिनार में बहुत सी ऐसी बातें मुझे इस्लाम धर्म के ताल्लुक से जानने को मिलीं जिनसे मैं अंजान था। उन्होंने कहा मौहम्मद साहब ने अमन शांति और समानता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया तथा महिला सुरक्षा पर विशेष बल देते हुए कन्या हत्या को बंद किया। श्री लालपुरा ने कहा कि हमारा आज के सेमिनार में बैठना तभी सफल होगा जब हम मौहम्मद साहब के संदेशों को अपने जीवन में लागू करने की कोशिश करें। उन्होंने यह भी कहा कि पैग़म्बर साहब के संदेशों को अपनाने से हमें निःसंदेह लाभ होगा।

पत्रकारों से बात करते हुए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जाकिर खान ने कहा कि मौहम्मद साहब ने जहां इस्लाम धर्म को अपनाने की बात कही वहीं यह भी संदेश दिया कि किसी अन्य धर्म को बुरा ना कहा जाए बल्कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाए। उन्होंने कहा कि आज के दौर में मौहम्मद साहब के इस संदेश को गम्भीरता से अपनाने की जरूरत है, हमें अगर अपने धर्म की इज्जत करानी है तो हमें दूसरों के धर्म का भी आदर करना होगा। 

दिल्ली अल्पसख्यंक आयोग सिख सलाहकार समिति के सदस्य सरदार गुरबचन सिंह चौहान ने कहा कि कोई भी धर्म बुरा नही है, लेकिन कुछ सत्ता के लोभी अपने निजी स्वार्थ के लिए भोली जनता को धर्म, जाति, वर्ग, समुदाय के नाम पर विभाजित करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा बुराई इंसान में होती है इसलिए एक दूसरे के धर्म पर कटाक्ष करना उचित नही है। और जब हम एक दूसरे के धर्म का आदर करेंगे तो पूरे देश में सौहार्द कायम होगा, देश में खुशहाली आएगी जिसका लाभ प्रत्येक व्यक्ति को मिलेगा।

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