जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी में की गई अमन, भाईचारे और देश की तरक़्क़ी के लिए ख़ास दुआ
शबाना अज़ीम
नई दिल्ली। इस्लाम धर्म के आख़िरी पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की योमे पैदाइश के उपलक्ष्य में राजधानी के मांडवली इलाक़े में जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी शीर्षक के तहत एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस रूहानी महफ़िल का आयोजन स्पेक्ट्रोन वोल्टेज स्टेबलाइज़र के सीएमडी साबिर ख़ान द्वारा किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में इलाक़े के ज़िम्मेदार लोग, बुज़ुर्ग, नौजवान और ख़ास तौर पर महिलाएँ भी भारी संख्या में मौजूद रहीं।
कार्यक्रम का आग़ाज़ तिलावत-ए-क़ुरआन और नात-ए-पाक से हुआ। क़ादरी मस्जिद ज़ाकिर नगर दिल्ली के इमाम मौलाना फ़ैज़ान नईमी तथा ग़रीब नवाज़ मस्जिद के इमाम मौलाना मैनुद्दीन ने अपने संबोधन में पैग़म्बर-ए-इस्लाम की जीवन शैली और उनके द्वारा दिए गए अमन, इंसानियत और मोहब्बत के संदेश को अपने ख़ास अंदाज़ में पेश किया। वहीं मज़हरुद्दीन अहमद अज़ीज़ी, मौलाना मतलूब ज़फ़र और महताब रज़ा ने नात-ए-कलाम पेश कर महफ़िल को आध्यात्मिक रंगत दी। मंच संचालन सैयद क़ैसर ख़ालिद फ़िरदौसी ने बख़ूबी अंजाम दिया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद फ़ेस ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर मुश्ताक़ अंसारी, डॉक्टर मोहम्मद इमरान और आयोजक साबिर ख़ान ने संयुक्त रूप से मेहमानों को अयाज़ परफ़्यूम का इत्र भेंटकर सम्मानित किया।
मुख्य वक्ता मौलाना फ़ैज़ान नईमी ने अपने संबोधन में समुदाय से अपील की कि वे मज़हबी तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा की ओर भी गंभीरता से ध्यान दें। उन्होंने कहा कि इस्लामी अख़लाक़ को अपनी ज़िंदगी में अपनाना हमारी बुनियादी ज़िम्मेदारी है।
आयोजन समिति के प्रमुख और मेज़बान साबिर ख़ान ने कार्यक्रम के उपरांत पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आज मुस्लिम समुदाय आर्थिक तौर पर कमज़ोर होने की वजह से समाज सेवा के कार्यों में अपेक्षित भूमिका नहीं निभा पा रहा है। सक्षम लोगों को चाहिए कि वे दिल खोलकर ज़रूरतमंदों की मदद करें और आगे आएँ। उन्होंने समुदाय की तरक़्क़ी के लिए उच्च शिक्षा पर ज़ोर देते हुए कहा कि बच्चों को हायर एजुकेशन मुहैया कराना और ज़रूरतमंदों की सहायता करना समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
महफ़िल का समापन मुल्क और क़ौम की सलामती, भाईचारे और राष्ट्रीय एकता की दुआ के साथ हुआ। इसके बाद उपस्थित लोगों के लिए सामूहिक रात्रिभोज का आयोजन भी किया गया।
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