दिल्ली दंगों में 11 मुस्लिम युवक बाइज़्ज़त बरी

 कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए मामले को सिरे से खारिज किया


जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने जमीअत के वकीलों के कानूनी प्रयासों की सराहना की

 नई दिल्ली, 25 अक्टूबर। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में वर्ष 2020 में हुए भीषण दंगों में हत्या के 11 आरोपियों को आज कोर्ट ने बाइज़्ज़त बरी किया। बरी होने वालों में मोहम्मद फैसल, राशिद, अशरफ, राशिद उर्फ राजा, शाहरुख, शोएब उर्फ छोटुवा और मोहम्मद ताहिर शामिल हैं जिनके मामले की पैरवी जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी द्वारा नियुक्त अधिवक्ता अब्दुल गफ्फार और अधिवक्ता सलीम मलिक कर रहे थे।

इन आरोपियों पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में एक मिठाई की दुकान में काम करने वाले 22 वर्षीय दिलबर नेगी की हत्या का आरोप था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने गोकुलपुरी थाने में आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302 समेत कई धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया था। उनके खिलाफ 4 जून, 2020 को आरोप पत्र दायर किया गया था। दिलबर नेगी उत्तराखंड का रहने वाला था। दंगे के दौरान भीड़ ने जब मिठाई की दुकान पर हमला किया तो वहां काम करने वाले दिलबर नेगी अंदर मौजूद थे। दंगाइयों ने पहले उसके हाथ-पैर काट दिए और फिर मिठाई की दुकान में आग लगा दी, जिससे उनकी जलकर मौत हो गई। बाद में उसका अधजला शव दुकान में मिला।

अतिरिक्त सेशन जज की अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए आरोपियों के खिलाफ केस को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि पुलिस ने इतने जघन्य और भयानक मामले में गैरजिम्मेदारी दिखाई है और असली दोषियों की पहचान और उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय निर्दोष लोगों को पकड़कर खानापूर्ति की है। जमीअत उलमा-ए-हिंद के वकीलों ने बताया कि हमारे मुवक्किलों पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद था। न्यायालय ने जमानत के समय भी इसका संकेत दिया था लेकिन पुलिस अपनी अन्यायपूर्ण थ्योरी पर अड़ी रही। 

इस फैसले पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने वकीलों के प्रयासों की सराहना की है और आशा व्यक्त की है कि निर्दोष लोगों को जल्द रिहा किया जाएगा। मौलाना मदनी ने कहा कि दिलबर नेगी के साथ जो कुछ भी हुआ, वह बहुत ही दर्दनाक है। पुलिस और जांच एजेंसियां अगर अगर ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभातीं तो दिलबर नेगी जैसे युवक की जघन्य और क्रूरतपूर्वक हत्या करने वालों की सही पहचान होती और निर्दोषों को गिरफ्तार नहीं किया जाता।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के कानूनी मामलों के संरक्षक मौलाना नियाज़ अहमद फारूकी ने बताया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रयासों से अब तक दिल्ली दंगों से जुड़े 33 लोग बाइज्जत बरी हो चुके हैं, जबकि ट्रायल से पूर्व 584 लोगों को जमानत दिलाने में कामियाबी मिली थी।

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