मुस्लिम मजलिस मुशावरत ने क़ायद मिल्लत पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में किया विशेष कार्यक्रम का आयोजन
नई दिल्ली। यह सभ्यताओं के संघर्ष का दौर है। इस दौर में दुनिया भर के सियासी व समाजी रहनुमा अगर अमन व इन्साफ के लिये कोशिश करते हैं, तो यह इंसानियत की सबसे बड़ी सेवा है। यह बातें मुस्लिम मजलिस मुशावरत दिल्ली विंग के अध्यक्ष डॉ० इदरीस कुरैशी की अध्यक्षता में अबू फ़ज़ल स्थित मुशावरत के ऑफिस में क़ायद मिल्लत पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में आयोजित एक अहम कार्यक्रम में कही गईं। पिछले दिनों ऑल इंडिया मजलिस मुशावरत के पूर्व अध्यक्ष नावेद हामिद, प्रमुख समाज सेवी प्रो० विपिन कुमार त्रिपाठी व जॉन दयाल को राष्ट्रीय स्तर के सम्मान ‘क़ायद मिल्लत अवार्ड’ से सम्मानित किया गया, इन्ही तीनों अवार्डीज़ के सम्मान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहाँ प्रोफ़ेसर अख़्तरुल वासे व ज़कात फाउंडेशन के प्रमुख फार्मर आईएएस डॉ० ज़फ़र महमूद ने मुख्य अतिथि की हैसियत से शिरकत की। इसके अलावा मुशावरत के राष्ट्रीय महासचिव अहमद जावेद, शेख़ मंज़ूर अहमद, अहमद रज़ा, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के फ़ार्मर चेयरमैन ज़ाकिर ख़ान, अबरार अहमद, डॉ० अनवारुल इस्लाम, एडवोकेट असलम अहमद, जेड के फ़ैज़ान, फ़िरोज़ अहमद, मौलाना शीश तईमी, सिकंदर हयात, मौलाना नासिर अहमद, शोएब रज़ा फ़ातमी, अब्दुल रहमान एडवोकेट, मौ० इलयास सैफ़ी, फ़ेस ग्रुप के चेयरमैन डॉ० मुश्ताक़ अंसारी, प्रोफ़ेसर बशीर अहमद, एडवोकेट मौ० तय्यब, डॉ० नफीस क़ुरैशी, शाकिर अंसारी, यासीन क़ुरैशी व शेर मौहम्मद आदि गणमान्य व्यक्ति विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
इस अवसर पर प्रो० अख्तरुल वासे ने कहा कि ये सम्मान उन सच्चे ईमानदार लोगों को दिया जाता है जो समाज को निस्वार्थ समर्पित हैं और राष्ट्र के बेहतर निर्माण में अपनी भागीदारी रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मान का असल हकदार वही है, जो मजहब, नस्ल, पंथ और जाति से ऊपर उठकर पूरी इंसानियत के लिये जिये। इस मौके पर डॉ.ज़फ़र महमूद ने कहा कि मुल्क के मौजूदा हालात इस बात के गवाह हैं कि आज इन्साफ और अम्न की जितनी ज़रूरत है, उतनी पहले कभी नहीं रही।
उन्होंने आगे कहा कि आज दुनिया को अम्न की ज़रूरत है। नफरत फैलाने वाली ताकतों को नाकाम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों को शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी मुहैया कराने चाहिए।
डॉ. इदरीस क़ुरैशी ने कहा कि क़ायद मिल्लत पुरस्कार एक ऐसा मंच है, जो विभिन्न धर्मों, संप्रदायों और जातियों के बीच सेतु का कार्य करता है। यह भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है।
इस कार्यक्रम में इंडिया पाकिस्तान के बीच युद्धविराम पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह एक अहम और सराहनीय कदम है। दोनों देशों को चाहिए कि वे बातचीत के जरिए मसलों का हल निकालें। युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है।
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