इबादत, भाईचारे और मुबारकबाद का खूबसूरत संगम बना हज यात्रा से पहले का नजारा

 





नई दिल्ली। इस्लाम धर्म के पाँच स्तंभों में से एक है हज — एक पाक सफर जो हर उस मुसलमान पर फर्ज है जो इसके लिए आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम हो। हज केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की पाकीज़गी, समर्पण और अल्लाह से जुड़ाव का बेहतरीन जरिया है। हज 2025 के लिए भारत से सऊदी अरब की हवाई उड़ानें शुरू हो चुकी हैं और इसी क्रम में 2 मई को पूर्वी दिल्ली के न्यू गोविंदपुरा क्षेत्र से समाज के दो सम्मानित व्यक्ति मुमताज़ आलम और साजिद अंसारी अपने परिवार के साथ इस मुबारक सफर पर रवाना हुए।

इस रवानगी से पहले दोनों परिवारों ने अपने-अपने निवास स्थानों पर एक विशेष दावत का आयोजन किया, जिसमें रिश्तेदारों, मित्रों और समाज के सम्मानित लोगों ने बड़ी संख्या में शिरकत की। यह महज एक विदाई नहीं थी, बल्कि एक जश्न था — जश्न था इबादत के सफर की शुरुआत का, उस रूहानी फिजा का जिसमें अल्लाह की बारगाह में सर झुकाना सबसे बड़ा सौभाग्य माना जाता है।

दावत के इस मौके पर मेहमानों ने फूल मालाओं से मेजबानों का स्वागत किया और उन्हें दिल से हज की मुबारकबाद दी। हर चेहरे पर खुशी, हर जुबां पर दुआएं और हर दिल में मोहब्बत की रौशनी दिखाई दे रही थी।

इस रूहानी और सामाजिक आयोजन की शान बने कई विशिष्ट अतिथि जिनमें सोनम बेकर्स के सीएमडी हाजी रियाजुद्दीन अंसारी, फेस ग्रुप के चेयरमैन डॉ. मुश्ताक अंसारी, डॉलफिन फुटवियर के सीएमडी सैयद फरहत अली, फिक्की के सचिव सलीम अंसारी, मानव जागरूकता विकास समिति के उपाध्यक्ष मुस्तफा गुड्डू, हाजी कलीम अंसारी, अकबर ठेकेदार, मोहम्मद इक़बाल, हाजी मुबीन अंसारी, डॉक्टर अंज़रुल हक, नसीमुद्दीन अंसारी, अब्दुल रशीद, मोहम्मद यूनुस, दिलशाद अहमद, मोहम्मद इरशाद व हाजी अबरार आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

यह आयोजन एक बार फिर यह साबित कर गया कि जब इबादत और इंसानियत एक साथ चलें, तो समाज में मोहब्बत, एकता और सद्भाव की रौशनी खुद-ब-खुद फैलती है।

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