सूफ़ी संतों की शिक्षाओं की वर्तमान परिवेश में अधिक जरूरत है : इमरान हुसैन







तलवार से नहीं सूफी संतों के व्यवहार से फैला इस्लाम : चौधरी ज़ुबैर अहमद 

दरगाह हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के 722 वें उर्स पर सैय्यद काशिफ़ निज़ामी ने सजाई विशेष महफ़िल 



नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की रूहानी फिज़ाओं में इन दिनों सूफ़ियाना रंग घुल गया है। विश्वप्रसिद्ध सूफ़ी संत हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह का 722वाँ उर्स बड़ी श्रद्धा, प्रेम और आध्यात्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। पूरा दरगाह परिसर फूलों की ख़ुशबू और रोशनी से जगमगा उठा। हर तरफ़ "महबूब-ए-इलाही" की याद में सजी महफ़िलें, कव्वालियों की गूंज और लंगर की सेवाओं ने वातावरण को और भी पावन बना दिया।

हर साल की तरह इस वर्ष भी दरगाह के चीफ़ इंचार्ज सैयद काशिफ अली निज़ामी के नेतृत्व में एक विशेष महफ़िल महबूबे इलाही के दरबार में सजाई गई। जहां मशहूर कव्वाल सूफ़ी ब्रदर्स, अथर हयात निज़ामी और उनके साथियों ने एक के बाद एक सूफ़ियाना कलाम पेश कर समा बाँध दिया। भर दे झोली मेरी या मौहम्मद, “छाप तिलक सब छीनी रे...” जैसे कलामों पर जब हज़ारों जायरीन ने हाथ उठाए, तो पूरा दरगाह परिसर इश्क़-ए-हक़ीकी की परमानंद लहरों में डूब गया।

उर्स की इस रूहानी शाम में राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक जगत की अनेक हस्तियाँ भी शरीक हुईं। इनमें दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री एवं विधायक इमरान हुसैन, विधायक आले इक़बाल, विधायक चौधरी ज़ुबैर अहमद, सर्व समाज राष्ट्रीय महासंघ के अध्यक्ष ताहिर सिद्दीकी, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ज़ाकिर ख़ान, सर्वोकॉन सिस्टम के एमडी हाजी कमरुद्दीन सिद्दीकी, एफ़ एम एस इंफ्राटेक के सीएमडी साजिद अहमद, उर्स कमेटी दिल्ली सरकार के पूर्व चेयरमैन एफ.आई. इस्माइली, सीएनआई चर्च के वरिष्ठ पादरी फ़ादर सोलोमन जॉर्ज, फ़ेस ग्रुप के चेयरमैन डॉ. मुश्ताक़ अंसारी, सेवा दल कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील कुमार, और राष्ट्रीय सचिव अफ़रोज़ ख़ान प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

इस मौके पर विधायक इमरान हुसैन ने कहा कि “हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया का दरबार वह मुक़द्दस जगह है जहाँ मज़हब की दीवारें मिट जाती हैं। यहाँ आने वाला हर इंसान सिर्फ़ इंसानियत और मोहब्बत का पैग़ाम लेकर लौटता है।” उन्होंने कहा कि सूफ़ी संतों की शिक्षाएँ आज के दौर में और भी ज़्यादा मायने रखती हैं, जब समाज में नफ़रत के बजाय मोहब्बत का संदेश फैलाने की ज़रूरत है।

वहीं विधायक चौधरी ज़ुबैर अहमद ने कहा कि भारत में इस्लाम की बुनियाद तलवार से नहीं बल्कि सूफ़ी संतों की इंसानियत, प्रेम और ख़िदमत से पड़ी। उन्होंने कहा, हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया, ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ और क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी जैसे औलिया ने इस मुल्क की तहज़ीब में मोहब्बत का रंग भरा है।

दरगाह के चीफ़ इंचार्ज सैयद काशिफ़ अली निज़ामी ने बताया कि इस वर्ष उर्स में न सिर्फ़ देश के कोने-कोने से बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचे। उन्होंने कहा कि यहाँ का माहौल हमेशा की तरह सौहार्दपूर्ण रहा, एक ही दस्तरख़्वान पर हर धर्म और जाति के लोग बैठकर लंगर ग्रहण करते हैं, यही भारत की असली पहचान है।

महफ़िल में वरिष्ठ पत्रकार मुस्तकीम ख़ान, मोहम्मद ओवेस, सोनम बेकर्स के डायरेक्टर हाजी रियाज़ुद्दीन अंसारी, राहत पठान, नियाज़ ख़ान, नियाज़ मंसूरी, एहसान अहमद, शबाना अज़ीम, उज़मा अंसारी समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।


 

Comments

Popular posts from this blog

सादगी से होने वाले सामुहिक विवाह का चलन बढ़ाया जाएगा : भाई मेहरबान कुरैशी

गाजीपुर मुर्गा मछली मंडी के चेयरमैन भाई मेहरबान कुरैशी के प्रयासों से व्यापारियों को मिली एटीएम सुविधा

राजनीतिक स्वार्थ के देशवासियों को विभाजित कर रही है भाजपा : उदित राज