अल्पसंख्यक मंत्रालय के भेदभावपूर्ण आदेश के खिलाफ कोर्ट में जनहित याचिका दायर, सुनवाई 5 अप्रेल को

 सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट असलम अहमद व उनकी टीम हज डिवीज़न के आदेश के खिलाफ करेंगे पैरवी: एडवोकेट रईस अहमद


भारत सरकार के केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के हज डिवीज़न से 20 मार्च 2023 को एक असंवेधानिक व भेदभावपूर्ण आदेश जारी किया गया था, जिसके मुताबिक इस साल केवल केंद्रीय पुलिस फ़ोर्स के कर्मचारियों को ही हज अफसर व हज अस्सिस्टेंट के तौर पर हज 2023 के दौरान सऊदी अरब में खिदमत के लिए चयन किया जाएगा। इस पर अपने मीडिया बयान में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट व आर्बिट्रेटर असलम अहमद ने बताया कि हज में सेवा के लिए दूसरे राज्यों व विभागों में कार्यरत मुस्लिम कर्मचारियों को इसके लिए इस बार मनाही कर दी गयी है, इस असंवेधानिक आदेश के संबंध में याचिकाकर्ता आमिर जावेद ने 23 मार्च को अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति ईरानी से संवैधानिक मूल अधिकारों का ख्याल रखते हुए इस आदेश में बदलाव कर हर बार की तरह इस बार भी समस्त राज्यों व विभागों के कर्मचारियों के चयन की अपील की थी। परंतु जब मंत्रालय से कोई भी जवाब नहीं मिला तो, याचिकाकर्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाते हुए इस आदेश के ख़िलाफ़ एक जनहित याचिका न. 4173/2023 दायर की है। जिसकी सुनवाई आगामी 5 अप्रैल को चीफ जस्टिस वाली डिवीजन बेंच करेगी.   

इस संबंध में आगे बात करते हुए  दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग सलाहकार कमिटी के पूर्व सदस्य व जनहित याचिका कर्ता के दिल्ली हाई कोर्ट एडवोकेट रईस अहमद ने बताया कि यदि समस्त राज्यो से कर्मचारियों का चयन नहीं किया जाता है तो हज के दौरान भाषाई परेशानियों का सामना हाजियों को करना पड़ेगा, क्योंकि सभी हाजी सिर्फ अंग्रेज़ी, हिंदी या उर्दू जानने वाले नहीं होते, पूरे भारतवर्ष से अन्य ज़बान बोलने वाले लोग भी हज के लिए जाते हैं, ऐसे में इन क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले हाजियों को कितनी परेशानियों को सामना करना पड़ेगा इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। जिसके चलते हज कमिटी व कॉउंसेलेट जनरल ऑफ इंडिया जद्दा को इस भाषायी परेशानियों का सामना तो होगा ही साथ ही लाखों की तादाद में भारत से जाने वाले हाजियों को असुविधा भी होगी। 

याद रहे कि याचिकाकर्ता एडवोकेट आमिर जावेद उत्तर प्रदेश में लाखों लोगों को अभी हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कोरोना महामारी के दौरान स्कूलों द्वारा 15 प्रतिशत अतिरिक्त फीस की वापसी अभिभावकों को करवा चुके हैं, जिससे लाखो लोगों को राहत मिली। जिसके लिए भी एडवोकेट असलम अहमद व उनकी टीम ने क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी, अब इस क़ानूनी लड़ाई में भी उनकी टीम में, एडवोकेट शाबिस्ता नबी, एडवोकेट रईस अहमद, एडवोकेट शिव कुमार चौहान, व एडवोकेट रोहित एम सुब्रमण्यम कोर्ट में इस  आसंवैधानिक व मूल अधिकारों के हनन के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई में साथ उतरेंगे।


Comments

  1. Haq ki baat h sabhi state k logo ko lena chahiye working team our medical team m(for deputation) hujjaj ke liye

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  2. Medical team ki application k liye time kam diya gaya jissay kafi log
    khidmat k liye apply karnay s vanchit raha gaye

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